भारत रूस वैश्विक साझेदारी : अतीत से वर्तमान तक
अनिलेश कुमार पासवान
शोध छात्र
पंजीयन संख्या : 700/2022
स्नातकोत्तर राजनीति विज्ञान विभाग
ति. मां. भा. वि. वि. भागलपुर
सारांश:
भारत और रूस के मध्य संबंधों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में गहरी रणनीतिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परंपराएँ निहित हैं। भारत की स्वतंत्रता के बाद, विशेष रूप से नेहरू युग से प्रारंभ होकर सोवियत संघ और भारत के बीच जो मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित हुए, वे समय के साथ-साथ केवल कूटनीतिक औपचारिकताओं तक सीमित न रहकर, बहुआयामी रणनीतिक साझेदारी में परिवर्तित हो गए। 1971 की भारत-सोवियत मैत्री संधि ने इन संबंधों को एक नया आयाम दिया, जिसने शीत युद्ध के समय भारत को वैश्विक स्तर पर एक सुरक्षित और सशक्त स्थिति प्रदान की। शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ ने भारत के औद्योगिक विकास, रक्षा क्षेत्र और अंतरिक्ष कार्यक्रमों में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। वहीं भारत ने भी वैश्विक मंचों पर रूस के दृष्टिकोण को संतुलित रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया। सोवियत संघ के विघटन के पश्चात दोनों देशों के संबंधों में थोड़ी शिथिलता आई, किंतु 2000 के बाद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और भारतीय नेतृत्व ने संबंधों को "विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी" के रूप में पुनर्जीवित किया। वर्तमान समय में भारत और रूस के संबंध बहुपक्षीय मंचों जैसे ब्रिक्स, शंघाई सहयोग संगठन (SCO), और संयुक्त राष्ट्र में भी सक्रिय रूप से दिखाई देते हैं। रक्षा क्षेत्र में एस-400 मिसाइल प्रणाली, ब्रह्मोस मिसाइल, और साझा सैन्य अभ्यास जैसे प्रकल्प दोनों देशों के मजबूत सहयोग को दर्शाते हैं। इसके अतिरिक्त ऊर्जा, विज्ञान, अंतरिक्ष और शिक्षा के क्षेत्र में भी भारत-रूस सहयोग सतत विस्तार की ओर है। हाल के वर्षों में रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे वैश्विक संकटों के दौरान भारत की संतुलित कूटनीति ने यह सिद्ध किया है कि भारत-रूस संबंध किसी एक ध्रुवीय राजनीति पर आधारित नहीं हैं, बल्कि यह संबंध रणनीतिक स्वायत्तता और दीर्घकालिक विश्वास पर आधारित हैं।
यह शोध आलेख भारत-रूस वैश्विक साझेदारी की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, विकास यात्रा, समकालीन संदर्भों तथा भविष्य की संभावनाओं का समग्र विश्लेषण प्रस्तुत करता है। यह संबंध न केवल द्विपक्षीय स्तर पर बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने की क्षमता रखते हैं। इसलिए भारत और रूस की यह साझेदारी वैश्विक भू-राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में एक स्थायी और संतुलित सहयोग का आदर्श उदाहरण बनकर उभरती है।
मूल शब्द (Keywords) : सोवियत संघ, रणनीतिक साझेदारी ,मैत्री संधि ,शीत युद्ध ,रक्षा सहयोग ,ऊर्जा सुरक्षा ,बहुपक्षीय मंच ,ब्रिक्स (BRICS),एससीओ (SCO) ,कूटनीति ,वैश्विक राजनीति ,आर्थिक सहयोग ,तकनीकी सहयोग