विद्यालयी बच्चों में परीक्षा-भय (Exam Anxiety) और उसका शैक्षिक उपलब्धि पर प्रभाव
 
 
डॉ. शिखा जैन,
 
 
सारांश
विद्यालयी जीवन में परीक्षा विद्यार्थियों के बौद्धिक विकास और शैक्षिक उपलब्धि का एक महत्त्वपूर्ण अंग होती है। किंतु जब यह मूल्यांकन प्रक्रिया विद्यार्थियों में अत्यधिक तनाव, चिंता और भय उत्पन्न करने लगती है, तो इसे “परीक्षा-भय” या “परीक्षा-चिंता” कहा जाता है। परीक्षा-भय एक ऐसी मनोवैज्ञानिक स्थिति है जिसमें विद्यार्थी परीक्षा से पूर्व या परीक्षा के दौरान असफलता, अपेक्षाओं की पूर्ति न होने, या दूसरों से तुलना जैसे कारणों से मानसिक दबाव महसूस करते हैं। इस स्थिति में उनका आत्मविश्वास घट जाता है, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है, तथा उनके प्रदर्शन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
वर्तमान समय में विद्यालयी बच्चों में परीक्षा-भय एक गंभीर शैक्षिक समस्या बन चुकी है। बढ़ती प्रतिस्पर्धा, अभिभावकों की उच्च अपेक्षाएँ, शिक्षकों का दबाव, और समाज में अंक-केंद्रित दृष्टिकोण इस समस्या को और गहराई प्रदान करते हैं। परीक्षा-भय के कारण विद्यार्थी तनावग्रस्त रहते हैं, नींद की कमी, सिरदर्द, पेट दर्द, भूख में कमी जैसी शारीरिक प्रतिक्रियाएँ दिखाई देती हैं। मानसिक स्तर पर वे असुरक्षा, आत्म-संशय, और विफलता की भावना से ग्रस्त हो जाते हैं, जिससे उनकी शैक्षिक उपलब्धि में गिरावट आती है। कई बार अत्यधिक परीक्षा-भय विद्यार्थियों को परीक्षा से बचने, नकल करने या यहाँ तक कि आत्मघाती प्रवृत्तियों की ओर भी प्रेरित कर देता है।
शोधों से यह स्पष्ट हुआ है कि परीक्षा-भय का विद्यार्थियों की उपलब्धियों पर प्रत्यक्ष नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जो विद्यार्थी परीक्षा के समय मानसिक रूप से शांत और आत्मविश्वास से भरे होते हैं, वे बेहतर प्रदर्शन करते हैं, जबकि अत्यधिक चिंतित विद्यार्थी अपनी वास्तविक क्षमता का प्रदर्शन नहीं कर पाते। अतः परीक्षा-भय को केवल व्यक्तिगत समस्या न मानकर एक शैक्षिक और सामाजिक समस्या के रूप में देखा जाना चाहिए।
परीक्षा-भय को कम करने के लिए शिक्षकों, अभिभावकों और परामर्शदाताओं को सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। विद्यालयों में तनाव-प्रबंधन, ध्यान, योग, और परामर्श सत्र आयोजित किए जाने चाहिए ताकि विद्यार्थी आत्मविश्वास, सकारात्मक सोच और आत्म-नियंत्रण विकसित कर सकें। इस प्रकार परीक्षा-भय का समुचित प्रबंधन विद्यार्थियों की शैक्षिक उपलब्धियों को सुदृढ़ करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।