संबंधों के सफर में भारत-इज़राइल
विनिता कुमारी
शोध छात्रा
पंजीयन संख्या : 729 /2022
स्नातकोत्तर राजनीति विज्ञान विभाग
ति. मां. भा. वि. वि. भागलपुर
सारांश:
भारत और इज़राइल के बीच संबंधों का सफर एक दिलचस्प और बहुआयामी यात्रा रही है, जिसमें कूटनीति, रणनीति, प्रौद्योगिकी, कृषि और सांस्कृतिक सहयोग की गहरी परतें शामिल हैं। इज़राइल की स्थापना 1948 में हुई, जिसे भारत ने शीघ्र ही मान्यता तो दी, किंतु गुटनिरपेक्ष आंदोलन, फिलिस्तीन के प्रति प्रतिबद्धता और पश्चिम एशियाई देशों से संबंधों को देखते हुए भारत ने लंबे समय तक औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित नहीं किए। 1992 में दोनों देशों के बीच पूर्ण राजनयिक संबंधों की शुरुआत हुई, जिसके बाद से यह संबंध लगातार प्रगाढ़ होते गए। रक्षा क्षेत्र में इज़राइल भारत का एक प्रमुख साझेदार बना, जिसने उन्नत सैन्य तकनीक और खुफिया सहयोग प्रदान किया। आतंकवाद से निपटने की रणनीतियों में भी दोनों देशों का तालमेल उल्लेखनीय रहा है। इसके अलावा, कृषि और जल प्रबंधन के क्षेत्र में इज़राइल की उन्नत तकनीक ने भारत में हरित नवाचार को बढ़ावा दिया है। दोनों देशों ने सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किए हैं, जहाँ ड्रिप इरिगेशन, हाई-टेक खेती और जल संरक्षण की तकनीकों को बढ़ावा दिया जाता है। व्यापार और निवेश के क्षेत्र में भी संबंध मजबूत हुए हैं, विशेषकर तकनीकी स्टार्ट-अप्स, रक्षा उपकरण, साइबर सुरक्षा और ऊर्जा के क्षेत्रों में। सांस्कृतिक आदान-प्रदान, शैक्षिक सहयोग, और यहूदी-भारतीय समुदाय के पारंपरिक संबंध भी इन रिश्तों को मानवीय आधार प्रदान करते हैं। हालांकि भारत को इज़राइल और फिलिस्तीन के मुद्दे पर संतुलन साधने की चुनौती बनी रहती है, विशेषकर जब वह पश्चिम एशिया के मुस्लिम देशों से भी घनिष्ठ संबंध बनाए रखना चाहता है।
कुल मिलाकर, भारत-इज़राइल संबंध आज सामरिक साझेदारी से आगे बढ़कर बहु-आयामी सहयोग का रूप ले चुके हैं, जिनमें समान लोकतांत्रिक मूल्य, तकनीकी नवाचार, सुरक्षा और आर्थिक हितों की स्पष्ट संगति दिखाई देती है। भविष्य में यह संबंध और अधिक सुदृढ़ हो सकते हैं, बशर्ते भारत अपनी संतुलित विदेश नीति बनाए रखे और दोनों देशों के साझा हितों को आगे बढ़ाता रहे।
मूल शब्द (Key words) : द्विपक्षीय संबंध ,राजनयिक सहयोग ,गुटनिरपेक्षता ,फिलिस्तीन नीति ,रक्षा सहयोग ,तकनीकी नवाचार ,कृषि साझेदारी ,जल प्रबंधन ,व्यापार एवं निवेश ,खुफिया सहयोग ,कूटनीतिक संतुलन ,वैश्विक मंच ,सामरिक रणनीति